Usha sharma

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लेखनी प्रतियोगिता -17-May-2023

मंच को सदर नमन 🙏🏼 🌹 🙏🏼

रोज ही की तरह दिन भर का
थका हारा एक दिन और ढल गया है ..! 
कुछ अनुत्तरित प्रश्नों को साथ लेकर
ये सिंदूरी शाम भी चली आई है..! 
निशा भी बहुत कोशिश में रहेगी 
खुद को नींद में थपकी दे सुलाने..! 
उनींदी आंखों में कुछ स्वपन रातभर जागे रहेंगे 
करवटें बदलते हुए कुछ बैचेन सवाल नये.! 
हाँ! पलकों तले रहेगी एक उम्मीद 
किरण रात के अंधेरे में जागी सी..! 
लो! निशा ने समेट ली अपनी झिलमिलाती
चादर हुई भोर की फिर आहट भी..! 
नई सुबह के साथ मिल पाएंगे उत्तर उन
तमाम प्रश्नों के जो अभी तक प्रतीक्षा में हैं.....! 
ये विश्वास हमें रात के अल्पविराम के बाद
नए दौर की सुनहरी भोर से मिलाता है..!

©®उषा शर्मा
जामनगर (गुजरात)

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5 Comments

madhura

17-May-2023 03:21 PM

awesome poem

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बहुत बेहतरीन

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Abhinav ji

17-May-2023 09:11 AM

Very nice 👍

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